मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को धार के भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद परिसर का जारी सर्वेक्षण पूरा करने के लिए सोमवार (29 अप्रैल) को आठ हफ्तों की मोहलत दे दी। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने ASI की अर्जी मंजूर करते हुए यह मोहलत दी।
युगल पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद ASI को आदेश दिया कि वह विवादित परिसर के सर्वेक्षण की संपूर्ण रिपोर्ट दो जुलाई तक पेश करे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ASI को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार जुलाई की अगली तारीख तय की है।
कोर्ट में आपत्ति जताई गई
ASI, भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद परिसर में महीने भर से ज्यादा वक्त से सर्वेक्षण में जुटा है। उसने यह कवायद पूरी करने की मोहलत के वास्ते हाईकोर्ट में दायर अर्जी में कहा कि इस परिसर की संरचनाओं के उजागर भागों की प्रकृति को समझने के लिए उसे कुछ और समय की दरकार है। उधर, मुस्लिम पक्ष की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी की ओर से ASI की इस गुहार पर कोर्ट में आपत्ति जताई गई। सोसायटी ने दावा किया कि ASI विवादित परिसर में इस तरह खुदाई कर रहा है जिससे शीर्ष न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है।
ASI द्वारा संरक्षित है परिसर
हाईकोर्ट ने तथ्यों पर गौर के बाद सोसायटी की इस आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि अगर ऐसा कोई उल्लंघन हो रहा है, तो संबंधित प्रतिवादी उचित फोरम का रुख करने के लिए स्वतंत्र है। भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर ASI द्वारा संरक्षित है।
‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ASI को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद ASI ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो लगातार जारी है।
नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है
भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद ASI ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’’ ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है।