नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट समेत लगभग हर न्यायालयों में कोरोना के मद्देनज़र वर्चुअली सुनवाई हो रही है। लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जजों और वकीलों को कई बार तकनीकी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अदालत में हुआ जब अमरावती की सांसद नवनीत कौर द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के दौरान इतनी दिक्कतें सामने आ गई किं, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी वर्चुअली सुनवाई से लॉग आउट हो गए और कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाए।
इस सुनवाई में सीनियर वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी भी शामिल थे। इन्हें भी वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली में गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा। लगातार हो रही दिक्कतों के चलते कपिल सिब्बल ने यहां तक कह दिया कि, अगर सुप्रीम कोर्ट में भी संचार प्रणाली काम नहीं कर रही है, तो भगवान हम सभी की रक्षा करें। और यह भी कहा कि अगर सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय उनके अधीन होता तो ऐसे मुद्दे सामने नहीं आते। न्यायमूर्ति सरन ने वकीलों से कहा कि वह ‘सिस्को’ फोन पर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, जो न्यायाधीशों के बीच सीधी ऑडियो लाइन है, लेकिन उन्होंने कहा कि ऑडियो और वीडियो लाइनें से उनका संपर्क नहीं हो रहा है।
तब वकीलों से जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपने निजी मोबाइल फोन पर संपर्क किया। जस्टिस सरन ने वकीलों से कहा कि, मैंने उन्हें सामान्य फोन पर भी बुलाया है। उनका कहना है कि अगर समस्या बनी रहती है तो वह मेरे आवास पर आएंगे।
सॉफ्टवेयर पर निराशा व्यक्त करते हुए, कपिल सिब्बल ने कहा कि यह प्रणाली “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” है। इस दौरान जस्टिस विनीत सरन ने कपिल सिब्बल से पूछा कि, कपिल सिब्बल ने केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आईटी मंत्रालय का पोर्टफोलियो संभाला था। “तब क्या ऐसा हो रहा था? ईडी ने बैंकों को ट्रांसफर किए विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी से जब्त 9,371 करोड़ वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय उनके अधीन होता तो ऐसे मुद्दे सामने नहीं आते।
इस बीच न्यायमूर्ति सरन ने कहा, “इस तरह की बातचीत यह सुनिश्चित करती है कि हमारा रक्तचाप, जो हाई हो रहा है, वह नीचे आ गया है। वहीं वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आंतरिक हॉटलाइन” फोन प्रणाली की याद दिलाई जो कि अटॉर्नी जनरल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के लिए उपलब्ध थी। मुकुल रोहतगी ने कहा कि उस प्रणाली में भी खामियां थीं। इस पर कपिल सिब्बल ने रोहतगी को बताया कि कई साल पहले हैकिंग को रोकने के लिए हॉटलाइन सिस्टम को नया रूप दिया गया और इसे एक बेहतर क्लोज्ड सिस्टम से बदल दिया गया है। जब वरिष्ठ वकीलों और सुप्रीम कोर्ट के जज तकनीकी गड़बड़ियों पर चर्चा कर रहे थे ,तभी जस्टिस माहेश्वरी अपने लॉ क्लर्क के कंप्यूटर के माध्यम से फिर से कार्यवाही में शामिल हुए और कार्यवाही फिर से शुरू हुई।