रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद में हुई हिंसा को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शांति न बनाए रखने पर चिंता जाहिर की है। साथ ही इलाके में लोकसभा चुनाव भी रद्द करने की चेतावनी दे दी है। हाईकोर्ट का कहना है कि जो लोग थोड़ी देर भी शांति नहीं बनाए रख सकते, उन्हें चुनाव की कोई जरूरत नहीं है। 17 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान करीब 19 लोग घायल हो गए थे।

चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेंच का कहना है कि क्षेत्र में 4 और 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर लोग शांति और सद्भावना में नहीं जी सकते, तो हम चुनाव रद्द कर देंगे।

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर दो वर्गों के लोग आचार संहिता लागू होने के बाद भी इस तरह से झगड़ा करते हैं, तो उन्हें एक निर्वाचित प्रतिनिधि की जरूरत ही नहीं है।’ बेंच मुस्लिम राष्ट्रीय मंच समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुर्शीदाबाद जिले में हुई हिंसा की सीबीआई या एनआईए जांच कराने की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ‘निर्वाचन आयोग को एक सिफारिश करने का प्रस्ताव दिया कि जब लोग आठ घंटे तक शांति से किसी अवसर का जश्न नहीं मना सकते, तो वे संसद में अपने प्रतिनिधियों को चुनने के हकदार नहीं होंगे इसलिए बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव टाल दिया जाए।


 

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