बोम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता के रूप में सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सैयदना ताहेर फखरुद्दीन की याचिका खारिज कर दी है। याचिका में सैयदना ताहेर फखरुद्दीन ने कहा था कि उनके चाचा को समुदाय के नेता के रूप में बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने “छल से” से पद संभाला है।

क्या है पूरा मामला

ये मुकदमा 2014 में  दाऊदी बोहरा समुदाय के नेता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर किया गया था।  मुकदमा 52वें दाई-अल-मुतलक के सौतेले भाई ने दायर किया था, जिसमें सैयदना की मृत्यु के बाद मुफद्दल सैफुद्दीन के उत्तराधिकार को चुनौती दी गई थी।

मूल वादी और सैयदना के सौतेले भाई खुजैमा कुतुबुद्दीन की 2016 में अमेरिका में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 2016 में दायर मूल मुकदमे में उनके बेटे सैयदना ताहेर फखरुद्दीन को वादी के रूप में प्रतिस्थापित करने की अनुमति दी थी।

दाऊदी बोहरा समुदाय

दाऊदी बोहरा समुदाय इस्लाम के फातिमी इस्लामी तैय्यबी विचारधारा को मानते हैं। उनकी समृद्ध विरासत इजिप्ट में ही पैदा हुई और फिर यमन होते हुए वो 11 वीं सदी में भारत आकर बस गए। साल 1539 के बाद दाऊदी बोहरा समुदाय की भारत में संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद उन्होंने अपनी संप्रदाय की गद्दी को यमन से गुजरात के पाटन जिले में मौजूद सिद्धपुर में स्थानांतरित कर दिया।

आज भी इस इलाके में उनकी पुश्तैनी हवेलियां मौजूद हैं। इस समुदाय के पुरुष सफेद कपड़े और सुनहरी टोपी पहनते हैं, जबकि महिलाएं रंगीन बुर्का पहनने के लिए जानी जाती हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय में शिया और सुन्नी दोनों मतों के लोग हैं। शिया समुदाय ज्यादातर कारोबार करता है। वहीं सुन्नी बोहरा समुदाय प्रमुख तौर पर खेती करता है। पूरी दुनिया में दाऊदी बोहरा समुदाय की संख्या 10 लाख के करीब है जिसमें से 5 लाख तो भारत में ही रह रहे हैं। बोहरा शब्द गुजराती भाषा  वोहरू से आया है जिसका अर्थ है व्यापार करना है। ये समुदाय भारत में गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी मौजूद है लेकिन उनकी सबसे बड़ी संख्या गुजरात के सूरत में ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page