सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा के पांच अभ्यर्थियों को विशेष मामले के तहत साक्षात्कार देने की इजाजत दी हैं। इन उम्मीदवारों ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी, लेकिन निर्धारित तिथि तक अपनी डिग्री का प्रमाणपत्र जमा नहीं कर पाने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
जस्टिस एएम खानविलकर और संजीव खन्ना की पीठ ने निर्देश दिया कि अभ्यर्थियों को विशेष मामले के तहत इंटरव्यू में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते उनके संबंधित विश्वविद्यालयों ने देरी से परीक्षा का परिणाम घोषित किया।
इसपर पीठ ने कहा, ये पांचों छात्र साक्षात्कार के लिए चयनित उम्मीदवारों की प्रकाशित सूची के अतिरिक्त होंगे। पीठ ने कहा कि इससे पहले भी यूपीएससी ने कई ऐसे उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में बैठने दिया, जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली, लेकिन अपने आवेदन के साथ पात्रता परीक्षा का प्रमाणपत्र नहीं पेश कर सके। शपथपत्र देने पर उन्हें मुख्य परीक्षा में बैठने की इजाजत दी गई।
परीक्षा से दूर रखना न्याय के खिलाफ
अदालत ने कहा कि इन पांचों उम्मीदवारों को यूपीएससी परीक्षा से दूर रखना न्याय के खिलाफ होगा, क्योंकि कोरोना के कारण विश्वविद्यालयों द्वारा समय पर परीक्षा का परिणाम घोषित नहीं करने से स्थिति उनके लिए कठिन हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश पारित कर रहे हैं और इसे विशेष मामले के रूप में ले रहे हैं।