हाईकोर्ट में नेवी अधिकारी द्वारा पांच सरकारी वकीलों के खिलाफ अवमानना को लेकर एक याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने उलटा याचिकाकर्ता को कड़ा रुख दिखाया है। इस मामले में विभिन्न सरकारी वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने नेवी अधिकारी को फटकार लगाते हुए 50 हजार रु की कॉस्ट लगाकर दंडित किया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इंदौर हाई कोर्ट में नेवी अधिकारी के एक मामला में सुनवाई चल रही थी, जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को 10 हजार कॉस्ट नेवी अधिकारी को देने के आदेश दिए थे। इसे राज्य सरकार ने पूरा भी कर दिया लेकिन इसी दौरान नेवी अधिकारी ने केस से जुड़े हुए पांच सरकारी अधिवक्ता मुकेश पोरवाल, विशाल सनोतिया, तरुण पगारे, अजय राज गुप्ता और भाग्यश्री गुप्ता के खिलाफ अवमानना का केस लगाया और लेट लतीफी के आरोप लगाए। जिसपर इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद कोर्ट ने नेवी अधिकारी पर ही 50 हजार की कॉस्ट लगा दी।
महा अधिवक्ता अर्चना खेर ने की पैरवी
सरकारी अधिवक्ताओं की ओर से इंदौर हाई कोर्ट की अतिरिक्त महा अधिवक्ता अर्चना खेर ने पैरवी की, वहीं अतिरिक्त अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी की नेवी अधिकारी के मामले में पहले ही कोर्ट का आदेश हो चुका है। वहीं नेवी अधिकारी ने जिस तरह से यह याचिका लगाई है, यह वकीलों को धमकाने के लिए तैयार की गई है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया और नेवी अधिकारी को दंड स्वरूप 50 हजार की कॉस्ट देने को कहा।