अपनी 12 साल की बेटी से लगातार दुष्कर्म करने के दोषी सौतेले पिता को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार की राहत का हकदार मानने से इन्कार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने उसकी समय पूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए प्रशासन को सुझाव दिया कि नीति में बदलाव किया जाए ताकि ऐसे लोगों को कोई राहत न मिल सके।
याचिका दाखिल करते हुए दुष्कर्म के दोषी सौतेले पिता ने हाईकोर्ट को बताया कि वह 1991 की नीति के तहत समयपूर्व रिहाई का हकदार है लेकिन उसका आवेदन प्रशासन ने खारिज कर दिया। ऐसे में याची ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि उसे नीति का लाभ देते हुए समय पूर्व रिहा किया जाए।
याची ने बताया कि उसे उसकी सौतेली बेटी के साथ 2004 से 2008 तक लगातार दुष्कर्म का दोषी मानते हुए चंडीगढ़ की अदालत ने 2009 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ याची ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी लेकिन यह 2014 में खारिज कर दी गई थी। अब उसने नीति के अनुसार समय पूर्व रिहाई का आवेदन किया लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 12 वर्षीय लड़की को उसके सौतेले पिता ने गर्भवती किया, नाबालिग पीड़िता द्वारा झेले गए आघात की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पीड़िता को सबसे खराब तरह का उल्लंघन झेलना पड़ा, वह भी एक पिता जैसे व्यक्ति द्वारा जिस पर नाबालिग बच्चा आम तौर पर भरोसा करता है। परिणाम यह हुआ कि उसे गर्भवती होना पड़ा जबकि वह उस समय खुद नाबालिग थी। ऐसे में इस प्रकार के व्यक्ति को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जानी चाहिए। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।