इस साल 15 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट को देश के चीफ जस्टिस के नाम एक गुमनाम पत्र मिला, जिसकी प्रतियां जस्टिस कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह को भेजी गईं। पत्र में पतंजलि द्वारा लगातार जारी किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों का जिक्र किया गया। आईएमए के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने अदालत को 21 नवंबर, 2023 की चेतावनी के बाद के अखबारों के विज्ञापन और अदालत की सुनवाई के ठीक बाद रामदेव और बालकृष्ण की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की ट्रांसक्रिप्ट भी दिखाई।
कंपनी से अवमानना कार्रवाई करने को लेकर जवाब मांगा गया। कोर्ट ने अपनी सख्त टिप्पणी में कहा कि “देश को धोखा दिया जा रहा है” और सरकार “अपनी आंखें बंद करके बैठी है।” 19 मार्च को कोर्ट को बताया गया कि पतंजलि ने अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया है। इसके बाद रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया। अदालत ने 2 अप्रैल की सुनवाई में भ्रामक विज्ञापनों पर उचित हलफनामा दायर नहीं करने पर “पूर्ण अवज्ञा” के लिए रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने उन्हें कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी।
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज करते हुए कहा, “आपकी माफी इस अदालत को राजी नहीं कर रही। यह सिर्फ दिखावा मात्र है।” सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी खारिज कर दी और उन्हें एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।