ज़मानत मिलने के बाद भी कैदियों की रिहाई में देरी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देश जारी करेगा।  सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट कहा है कि वह इस मामले में विस्तृत आदेश जारी करेगा । एमाइकस क्यूरी दुष्यंत दवे ने कहा कि 4 राज्यों के अरुणाचल, नागालैंड, मिज़ोरम और असम में आंशिक रूप से समस्याएं हैं। उनके पास इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है ।


उन्होंने ये भी कहा कि कई राज्यों ने हलफनामा नहीं दाखिल किया । अब तक सिर्फ 18 राज्य ही ऐसे हैं जिन्होंने हलफनामा दाखिल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट उपलब्ध रिपोर्ट के आधार पर आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्ति का उपयोग करके आदेश पारित कर सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए, जिसके बाद ट्रायल बेस पर कैदियों की रिहाई हुई है। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद सफल रहा है। पिछली सुनवाई में CJI ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जमानत के आदेश सीधे जेलों में भेजने की प्रणाली विकसित करने की सोच रहा है, ताकि कारागार से कैदियों की रिहाई में देरी न हो।


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकारी प्रक्रिया को अदालत के निर्देशों के मुताबिक ‘‘चलना’’ होगा. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सालों से जेल में बंद दो सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं करने के लिए उन्हें फटकार लगाई।  सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले आदेश दिये जाने के बावजूद सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस मामले में निर्णय नहीं लेने पर नाराजगी व्यक्त की और आदेश दिया कि जहरीली शराब के लगभग तीन दशक पुराने मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे दोनों लोगों को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए। इस शराब कांड में 31 लोगों की मौत हो गई थी।

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