Beautiful henna design on Indian bride's hands in "Pooja" gesture

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार हिंदू विवाह को संपन्न करने के लिए कन्यादान की रस्म आवश्यक नहीं है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम केवल सप्तपदी को हिंदू विवाह के एक आवश्यक समारोह के रूप में प्रावधान करता है और यह प्रावधान नहीं करता कि कन्यादान का समारोह हिंदू विवाह के समापन के लिए आवश्यक है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने गवाहों को फिर तलब करने की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।

मामले में अदालत आशुतोष यादव नामक एक व्यक्ति की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, लखनऊ के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। मामले में दो गवाहों को बुलाने के लिए दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने पुनरीक्षणकर्ता के तर्क को दर्ज किया कि अभियोजन पक्ष द्वारा दायर विवाह प्रमाण पत्र में उल्लेख किया गया है कि विवाह फरवरी 2015 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ था, जिसके अनुसार, कन्यादान एक आवश्यक अनुष्ठान है।

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