हाईकोर्ट की इमारत के लिए सोमवार को यूटी प्रशासन ने 11.5 एकड़ भूमि की पेशकश की, जिसे हाईकोर्ट ने नाकाफी बता दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आज की जरूरत 15 एकड़ की है और हम आने वाले 50 साल के लिए सोच रहे हैं। प्रशासक के सलाहकार इस बारे में सोच कर अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करें।

इससे पहले हाईकोर्ट की 50 साल की जरूरत को देखते हुए कितनी भूमि की आवश्यकता है यह तय करने के लिए प्रशासन, हाईकोर्ट बार, हाईकोर्ट रजिस्ट्रार, कर्मचारी एसोसिएशन व अन्य सभी पक्षों को बैठक करने का आदेश दिया था। इस बैठक में तय किया जाना था कि हाईकोर्ट की असल जरूरत कितनी है और तय होने के बाद यह भूमि सारंगपुर में उपलब्ध करवाने का पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया था।

सोमवार को सुनवाई आरंभ होते ही हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से सारंगपुर में भूमि अलॉटमेंट पर जवाब मांगा तो प्रशासन की ओर से पेश हुए सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल अमित झांजी ने बताया कि वहां पर भूमि की कमी है, लेकिन प्रशासन 11.5 एकड़ भूमि देने को तैयार है।

हाईकोर्ट ने कहा कि शुरू से ही प्रशासन हमें जमीन देने के मामले को किसी न किसी तरह से लटका रहा है। हाईकोर्ट को तो स्थान की आवश्यकता है ही, बार, एजी कार्यालया, भारत सरकार, यूटी प्रशासन आदि के वकीलों के लिए भी स्थान की जरूरत है। वर्तमान की स्थिति के अनुसार हमें कम से कम 15 एकड़ भूमि चाहिए। हमें आने वाले 50 साल के हिसाब से योजना बनानी होगी। ऐसे में अब एडवाइजर को हाईकोर्ट ने इस बारे में अपना हलफनामा सौंपने का आदेश दिया है।

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