रायपुर (भरत सोनी) । एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट, राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार, केंद्रीय एवं राज्यों के विभिन्न आयोग व मंडल में अध्यक्ष व सदस्य के पद पर अधिवक्ताओं की नियुक्ति, अधिवक्ताओं को देश के चुनिंदा चिकित्सालयों में चुनिंदा चिकित्सा उपलब्ध कराने, अधिवक्ताओ का सामूहिक बीमा कराने, अधिवक्ताओं का बार काउंसिल परिचय पत्र सभी केंद्रीय एवं राज्य सरकार के उपक्रमों में मान्यता, रायगढ़ की घटना पर अधिवक्ताओं के खिलाफ एकतरफा मुकदमा वापस लेने व दोषी राजस्व कर्मचारियों का निलंबन आदि की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य उच्चन्यायालय अधिवक्ता संघ के आहवान पर 22 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर में अधिवक्ताओं का महाधरना, प्रदर्शन एवं सभा आयोजित की गई है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष व पूर्व कोषाध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद अब्दुल वहाब खान ने बताया कि 22 अप्रैल को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर में महाधरना व प्रदर्शन किया जावेगा। प्रदर्शन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिला व तहसीलों के अधिवक्ता संघ पदाधिकारी व सदस्यगण सम्मिलित होंगे। ज्ञात हो कि रायगढ़ में 11 फरवरी को वकीलों एवं राजस्व अधिकारियो के बीच हुए विवाद के पश्चात रायगढ़ सहित पूरे प्रदेश के अधिवक्तागण आक्रोशित हो आंदोलनरत रहे हैं। रायगढ़ की घटना पर अधिवक्ताओं पर एकतरफा कार्यवाही की गई और राजस्व अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने की बात पर शासन प्रशासन अब तक मौन हैं।
प्रदेशभर में हो रहे आन्दोलन की रायगढ़ सहित विभिन्न जिला व तहसील के अधिवक्ता संघों ने कमान संभाल रखी थी, इस बीच छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ ने अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाते हुए एक नयी रूपरेखा पर आंदोलन का शंखनाद कर दिया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अब्दुल वहाब खान ने आंदोलन को एक नया मोड़ देते हुए महारैली का आहवान किया और विगत 25 मार्च को राजधानी रायपुर में महारैली व प्रदर्शन किया जिसमें प्रदेश के विभिन्न स्थानों से हज़ारों अधिवक्तागण ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई तथा महामहिम राज्यपाल को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया। संघ के अध्यक्ष वहाब खान ने उक्त सभा के दौरान घोषणा की थी कि यदि उक्त मांगों पर त्वरित कार्यवाही नहीं होती तो 22 अप्रैल को राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा। इसी परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के आहवान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मन्तर पर 22 अप्रैल को महाधरना व प्रदर्शन का आयोजन किया गया है।जिसमें प्रदेश के सभी अधिवक्ता संघ,पदाधिकारी व सदस्यों से अधिवक्ता हित में हो रहे प्रदर्शन में सम्मिलित होने का आग्रह किया गया है। 22 अप्रैल को राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर छत्तीसगढ़ राज्य के वकीलों का प्रदर्शन व महाधरना होगा।अब देखना यह है कि विगत दो महीनों से आंदोलनरत वकीलों के धरना प्रदर्शन के पश्चात उसके परिणाम क्या आते हैं ? विगत दो महीनों से प्रदेशभर के वकीलों ने राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व राजस्व अधिकारियो के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और शासन प्रशासन के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन दिया है। फिर भी इन दो माह में शासन प्रशासन की ओर से राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी सख्त कदम नहीं उठाया गया है। इससे प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें काफी हद तक गहराइयों में जकड़ी हुई हैं । लोकतंत्र के जिम्मेदार पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि मौन हैं। उक्त मुद्दे पर जिम्मेदार पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के मौन रहना ही एक यक्ष प्रश्न है ?
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट कई सालों से प्रतीक्षा सूची पर है। अधिवक्ताओं की सुरक्षा व हितों के प्रति यदि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जागरूक होते तो अब तक एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो गया होता ।
अब देखना यह है कि, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अब्दुल वहाब खान के नेतृत्व में किया जा रहा महाधरना व प्रदर्शन की गूंज जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के श्रवण तंत्रों तक पहुंचती है या दुर्योधन के मोह में धृतराष्ट्र………।
वैसे देखा जाए तो संघ के आहवान पर 25 मार्च को हुई महारैली लगभग सफल रही, जबकि पर्याप्त कूटनीति का शिकार रही। आम अधिवक्तागणों को राजनीति या कूटनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें तो अधिवक्ता हितों के लिए प्रयास करने वाला नेतृत्वकर्ता चाहिए। यदि नेतृत्वकर्ताओं के बीच कोई कूटनीति या श्रेय लेने की राजनीति हो तो यह अंदर की बात है।
बहरहाल यदि बात अधिवक्ता सुरक्षा व हितों की है, तो सभी को एकजुटता सिखाई जानी चाहिए,ना कि श्रेय लेने की होड़ में अधिवक्ता हितों की अनदेखी होनी चाहिए।