स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती हत्या मामले की CBI जांच को लेकर आज ओडिशा हाईकोर्ट में सनुवाई हुई है। मामलेकी CBI से जांच क्यों नहीं करायी जाए, उस संदर्भ में जानकारी देने के लिए राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है। पांच मार्च तक जवाब रखने के लिए राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता वकील देवाशीष होता ने याचिका में कहा है कि घटना की अपराध शाखा की जांच में कुछ पहलुओं की अनदेखी की गई है।हत्या से पहले CRPF जवान को हटायायाचिकाकर्ता ने अपने पिटीशन में उल्लेख किया है कि 15 अगस्त 2008 को अर्थात स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या से कुछ ही दिन पहले उनकी सुरक्षा दायित्व में रहने वाले CRPF जवान को हटा दिया गया था। इसी महीने की 23 अगस्त की सुबह स्वामी जी की सुरक्षा दायित्व में रहने वाले ओडिशा पुलिस के सभी कर्मचारी सामूहिक छुट्टी पर चले गए। इसी दिन शाम के समय लक्ष्मणानंद सरस्वती की 15 अपराधियों ने हत्या कर दी। इसके अगले ही दिन तत्कालीन DGP ने पत्रकार सम्मेलन कर कहा कि स्वामी जी की हत्या माओवादियों ने की है।लक्ष्मणानंद की हत्या को बताया षडयंत्रयाचिकाकर्ता ने अपने पिटीशन में कहा है कि स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या षडयंत्र के तहत की गई है। किन्तु इस हत्याकांड की जिस तरह से जांच की गई, उससे सच्चाई लोगों के सामने नहीं आएगी। ऐसे में घटना की CBI जांच होने पर कई रहस्य से पर्दा हटने की उम्मीद है।