दिल्ली की जेलों में विजिटर्स का बोर्ड बनाने को लेकर LG ने कहा है कि यह बोर्ड पांच सालों से पेंडिंग है और इसे लेकर सरकार हाई कोर्ट को गुमराह कर रही है। बोर्ड को लेकर यह फाइल LG को सोमवार को मिली है, जिसमें गलतियां रेखांकित कर लोग ने सीएम को नोट भेजा है।
‘जेलों में विजिटर्स का बोर्ड कानूनन अनिवार्य’
LG वीके सक्सेना ने कहा है कि जेलों में विजिटर्स का बोर्ड कानूनन अनिवार्य है और इसे इसे बनाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने सितंबर 2019 में इसे बनाने का आदेश दिया था, जो अब पांच वर्षों से पेंडिंग है। यह बोर्ड कैदियों/दोषियों की शिकायतों को सुनने के लिए एक मंच के रूप में काम करता है और अधिकारियों को हल निकालने में मदद देता है।
‘दिल्ली सरकार करती रही गुमराह’
LG का कहना है कि दिल्ली सरकार एक के बाद एक तारीख देकर हाई कोर्ट को गुमराह करती रही। 11 सितंबर को हाई कोर्ट ने दिल्ली के गृह मंत्री को खुद अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने और गृह सचिव को 1 अक्टूबर यानी आज अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा। LG ने कहा है कि सीएम ने एक दिन पहले यानी 30 सितंबर को उन्हें कानून द्वारा निर्धारित डिस्ट्रिक्ट जज के बजाय, डीएम को अध्यक्ष के रूप में सलाहकार मंडल में नियुक्त करने की गलत फाइल भेजी।
उन्होंने कहा है कि वो हाई कोर्ट को बताते रहे कि फाइल LG के पास है। LG ने सीएम को कहा है कि उनका नोट 1 अक्टूबर को हाई कोर्ट में पेश किया जाए ताकि तथ्य सामने आ सकें। साथ ही, डीजे को अध्यक्ष बनाते हुए विजिटर्स बोर्ड बनाने का भी आदेश दिया है। जेलों में विजिटर्स के बोर्ड का काम नियमित रूप से जेलों का दौरा करना, कैदियों की सुरक्षा, भोजन, स्वच्छता, चिकित्सा सेवाओं को देखना और निवारण के लिए अधिकारियों को रिपोर्ट करना है।