सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र सरकार और डायरेक्टरट जनरल ऑफ सिविल एविएशन को आदेश दिया जाए कि वे एयरलाइंस को उचित निर्देश जारी करें, ताकि लॉकडाउन के दौरान यात्रा करने के लिए बुक किए गए टिकटों का पूरा पैसा रिफंड किया जाए क्योंकि लॉकडाउन के कारण सभी फ्लाइट रद्द हो गई हैं। प्रवासी लीगल सेल द्वारा दायर इस याचिका में  उड़ान रद्द होने से टिकटों के लिए एकत्र की गई पूरी धनराशि को एयरलाइंस द्वारा वापस न करना मनमानी बताया गया ।  जस्टिस एनवी रमना,जस्टिस एसके कौल और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने इस तर्क को उचित ठहराया।  और नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए से जवाब देने को कहा ।

 “यह मनमाना लगता है कि केवल उन लोगों को रिफंड जारी किया जा रहा है जिन्होंने लॉकडाउन लागू होने के बाद टिकट बुक किया था। बुकिंग की अवधि से अलग यह राहत उन सभी को दी जानी चाहिए, जिनकी उड़ानें लॉकडाउन की वजह से रद्द कर दी गई थीं। “
                                               – न्यायमूर्ति कौल

याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने निर्देश दिया है कि सिर्फ उनका पूरा पैसा वापस किया जाएगा जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान टिकट बुक किया था, परंतु उनको छोड़ दिया गया जिन्होंने लॉकडाउन से पहले टिकट बुक करा दिए थे, जबकि बुनियादी संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जाकर उड़ानों को रद्द कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा यह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- 

”विमानन मंत्रालय ने अपने 16 अप्रैल 2020 के कार्यालय ज्ञापन में एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वह केवल उन लोगों को टिकट के लिए भुगतान की गई पूरी राशि वापिस कर दें जिन्होंने लॉकडाउन अवधि के दौरान टिकट बुक किए थे। लॉकडाउन से पहले टिकट बुक करवाने वाले लोगों को छोड़ दिया गया है। लेकिन लॉकडाउन के कारण रद्द की गई सभी उड़ानें एकसमान ही होती हैं और इस प्रकार यह संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।”

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