अभिनव सोनी

◆ अधिवक्ताआंदोलन की ओर : बार काउंसिल अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र 

◆ 200 करोड़ के समग्र निधि की स्थापना की जाये
15 हज़ार रुपये प्रतिमाह अधिवक्ताओं को दिया जाये
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष प्रभाकरसिंह चंदेल ने वैश्विक महामारी कोविड 19 से उत्पन्न आर्थिक संकट मे प्रदेश के अधिवक्ताओं को त्वरित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री व विधि मंत्री को लिखा है।
पत्र की शुरुआत प्रदेश सरकार द्वारा जनहित मे चलाए जा रहे लोककल्याणकारी कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए साधुवाद देते हुए की गई हैं।
पत्र में लिखा गया है कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण प्रदेश में नियमित न्यायालयीन कार्य गत 6 महीनों से बंद है जिससे प्रदेश के अधिवक्ताओं के समक्ष घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इस समस्या के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद द्वारा पूर्व में अनेक बार छत्तीसगढ़ शासन से आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु आग्रह किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद, अधिवक्ताओं के वेलफेयर का कार्य न्यासी समिति के माध्यम से करती है, जिसके न्यासी राज्य के विधि मंत्री होते है जो राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते है इस प्रकार अधिवक्ताओं के हित और वेलफेयर को देखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद द्वारा छत्तीसगढ़ के विधि मंत्री को भी इस संकट की घड़ी में प्रदेश के अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु परिषद के अध्यक्ष श्री प्रभाकर सिंह चंदेल द्वारा व्यक्तिगत मुलाकात कर पत्र, ज्ञापन बैठक कर प्रार्थना की गई है। माननीय मुख्यमंत्री व विधिमंत्री द्वारा अपेक्षित उक्त संबंध में कार्य योजना बनाकर शासन को प्रेषित किया गया है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस आपदा की घड़ी में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिवक्ताओं को संकट से उबारने हेतु प्रयास किये जा रहे है। जिसमें दिल्ली,आंध्रप्रदेश, केरल ,कर्नाटक और तेलंगाना सरकार शामिल है।

आन्ध्रप्रदेश शासन द्वारा आन्ध्रप्रदेश विधिज्ञ परिषद को सौ (100) करोड़ रूपये दिये जाने की घोषणा की गई।

● दिल्ली प्रदेश के अधिवक्ताओं हेतु 50 करोड़ रूपये की राहत राशि की घोषणा की गई है और दिल्ली प्रदेश शासन द्वारा 25 करोड़ रूपये प्रदान भी किये जा चुके है।

● कर्नाटक प्रदेश शासन द्वारा कर्नाटक के
अधिवक्ताओं हेतु 5 करोड़ रूपये की राहत राशि प्रदान की गई है।

● तेलांगाना प्रदेश शासन द्वारा तेलगांना के अधिवक्ताओं हेतु 25 करोड़ रूपये की राहत राशि प्रदान की गई है।

● केरल प्रदेश शासन द्वारा केरल के अधिवक्ताओं हेतु उदग्रहित न्यायशुल्क के 1 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है।
पत्र में आगे लिखा है कि वर्तमान में स्थिति अत्यंत विकराल होती जा रही है एवं कई अधिवक्ताओं के समक्ष स्वास्थ्य एवं दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति का संकट उत्पन्न हो गया है।
अतः इस आपदा की घड़ी में त्वरित सहायता हेतु निम्नानुसार सुझाव एवं आग्रह है।
वर्ष 2010 के उपरांत छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद में नामांकित अधिवक्ताओं को दिनांक 24.03.2020 से न्यायालयीन परिस्थितियां सामान्य होने तक 10 हजार रूपये प्रतिमास की दर से आर्थिक सहायता मानदेय प्रदान किया जावे।

◆ वर्ष 2010 के पूर्व से छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद में नामांकित क्रीमीलेयर में न आने वाले अधिवक्ताओं को दिनांक 24.03.2020 से न्यायालयीन परिस्थितियां सामान्य होने तक 15 हजार रूपये प्रतिमास की दर से आर्थिक सहायता/मानदेय प्रदान किया जावे।

◆ अधिवक्ताओं को कोरोना संक्रमण के संबंध में सरकारी खर्च पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाये एवं कोरोना संकमण से मृत्यु की दशा में उनके परिवार की सहायता हेतु 50 लाख रूपये का बीमा कराया जावे।


इसके अलावा प्रदेश के 28575 अधिवक्ताओं के कल्याणार्थ छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद के पक्ष में दो सौ करोड़ रूपयों की समग्र निधि (कॉर्पस फंड ) की स्थापना कर, उस निधि से प्राप्त ब्याज के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद में नामांकित अधिवक्ताओं के कल्याणार्थ आवासीय ऋण तथा रूपये 50 हजार तक आकस्मिक व्यक्तिगत ऋण इत्यादि उपलब्ध कराए जाने का आग्रह भी किया गया है।
अध्यक्ष श्री चंदेल ने पत्र के अंत में लिखा कि
संकट की इस घड़ी में छत्तीसगढ़ शासन के उदासीन रवैये के कारण निरूपाय अधिवक्ता समूह एवं अधिवक्ता संघ अत्यंत उद्वेलित होकर आन्दोलन की दिशा में बढ़ने लगे है जिससे
बाध्य होकर परिषद को प्रस्ताव दिनांक 19.09.2020 के अनुसार यह खुला पत्र जारी करना पड़ रहा है।
वैश्विक कोरोना कोविड-19 महामारी जन्य परिस्थियों में अनुरोध है कि आपके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन लोक कल्याण के उच्चतम आदेशों का पालन करते हुए
प्रदेश के अधिवक्ताओं के हित में उपरोक्त वर्णित समस्त मांगों को तत्काल पूरी की जाये।
विदित हो कि इसके पूर्व परिषद के उपाध्यक्ष संजय शर्मा ने भी एक मुख्यमंत्री को लिखा है।वहीं अपने प्रयासों में अधिवक्ता संघ रायपुर द्वारा भी पूर्व में दो पत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखा गया है। किंतु शासन के उदासीन रवैये के चलते प्रदेश के अधिवक्ताओं को आज तक कोई आर्थिक सहयोग शासन की ओर से नहीं मिल पाया है।

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