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उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने गैंगस्टर अतीक अहमद के वकील खान सौलत हनीफ का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। प्रयागराज की एक ट्रायल कोर्ट ने उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक के साथ हनीफ को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बार काउंसिल ने यह कार्रवाई उमेश पाल की पत्नी जया पाल की ओर से दाखिल याचिका के बाद की है

जिसमें हनीफ के वकालत लाइसेंस को रद्द करने और उन्हें अदालत में पेश होने से रोकने की मांग की गई थी। बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सदस्य जानकी शरण पांडे ने बताया कि हनीफ का वकील लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और उन्हें देश भर की किसी भी अदालत में पेश होने से रोक दिया गया है। बार काउंसिल ने उन पर यह कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि आपराधिक कृत्य में उनकी संलिप्तता प्रफेशनल मिसकंडक्ट में आता है।

बता दें कि प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने 28 मार्च 2023 को उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक और एक अन्य के साथ हनीफ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और तब से वह नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। कोर्ट ने पाया था कि उमेश पाल के अपहरण मामले में हनीफ की संलिप्तता साबित करने वाले पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

जया पाल की शिकायत के बाद बार काउंसिल ने एक कमेटी गठित की थी जिसने मामले के हर पहलू की गहन जांच की और पाया कि उमेश पाल अपहरण मामले में खान सौलत हनीफ का कृत्य “पेशेवर कदाचार” का मामला है। इसके बाद उसका रजिस्ट्रेशन तत्काल रद्द करने पर सहमति बन गई।

क्या था मामला

अतीक, उसके भाई अशरफ, दिनेश पासी और अन्य पर 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या करने के आरोप थे। इस मामले में उमेश पाल गवाह थे। आरोप है कि उमेश पाल का अपहरण किया गया और उन्हें अपना बयान वापस लेने के लिए मजबूर किया गया। 28 मार्च 2023 को खान सौलत हनीफ को अतीक अहमद के साथ जेल भेज दिया गया, क्योंकि अदालत ने पाया था कि वह अपने पेशे में एक कदम आगे बढ़कर अपराध का हिस्सा बन गए थे।

मुकदमे के दौरान अदालत ने पाया कि हनीफ ने उमेश पाल के बयान बदलने के लिए डॉक्युमेंट तैयार किए थे और घटना के दौरान अपहरणकर्ताओं के साथ मौजूद भी था। इस साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए निचली अदालत ने अतीक अहमद के साथ खान सौलत हनीफ को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

खान सौलत हनीफ ने निचली अदालत, हाईकोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक में अतीक के वकील के तौर पर काम किया। उन्होंने अतीक अहमद से जुड़े हर मामले में हलफनामा दाखिल किया और जरूरत के मुताबिक अन्य वरिष्ठ वकीलों की मदद भी ली थी।

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