पहले मुकदमा कायम करने फिर बाद में समझौता करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले पक्षकारों की याचिका हाईकोर्ट ने हर्जाने के साथ स्वीकार की है। कोर्ट ने सुलह के आधार पर मुकदमे को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दोनों पक्षों पर दो-दो हजार का हर्जाना लगाया है।
कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है। ऐसे में यदि मुकदमे को जारी रहने दिया जाता है, तो ट्रायल कोर्ट का समय बर्बाद होगा। कोर्ट ने कहा कि दुख की बात है कि लोग अपने विरोधी को सबक सिखाने के उद्देश्य से अक्सर आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हैं। न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने छेदी लाल व तीन अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया।
प्रयागराज के मऊआइमा थाने में छेदी लाल व अन्य पर गंभीर चोट पहुंचाने, मारपीट व अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया। प्रकरण स्पेशल सीजेएम की अदालत में लंबित है। इस बीच दोनों पक्षों ने अदालत के बाहर समझौता कर लिया।
याची अधिवक्ता ने कहा कि पक्षों के बीच समझौता हो गया है इसलिए मुक़दमे की कार्यवाही समाप्त की जाए। कोर्ट ने 9 अप्रैल 2024 के आदेश से ट्रायल कोर्ट को पक्षों के बीच हुए समझौते की सत्यता को सत्यापित करने का निर्देश दिया था। ट्रायल कोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 के आदेश से सत्यापित किया है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों पर दो-दो हजार रुपये का हर्जाने लगाते हुए मुकदमे की कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया। तीन सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति, इलाहाबाद के समक्ष हर्जाना जमा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर्जाना इस लिए लगाया जा रहा है ताकि पक्षों व अन्य लोगों को पता चले कि हम मूकदर्शक नहीं हैं। जो भी न्यायालय का दुरुपयोग करेगा, उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।