इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन वर्ष की देरी से दाखिल राज्य सरकार की अपील पर मध्यस्थता अवार्ड में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने सरकार को कई मौके दिए, लेकिन उसने अपनी तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट के स्थापित नियमों के तहत आदेश पारित कर दिया।
आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में आने में सरकार ने बहुत देरी कर दी। न्यायमूर्ति शेखर बी. सर्राफ ने राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। मीरजापुर के जिला जज ने मेसर्स सिनकेयर कंस्ट्रक्शन के वाद पर सुनवाई करते हुए 24 फरवरी 2021 को एकतरफा आदेश पारित कर दिया था। सरकार ने जिला जज के आदेश को चुनौती दी थी। कहा गया था कि आदेश एकतरफा है। उसे रद किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि जिला जज ने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि उसने याची यानी राज्य सरकार/विभाग को कई मौके दिए, लेकिन उसने कोई जवाब दाखिल नहीं किया और न ही केस की सुनवाई के दौरान उपस्थित हुआ। जिला जज के आदेश को 30 दिनों के भीतर चुनौती देनी चाहिए थी लेकिन तीन वर्ष बाद आदेश के खिलाफ चुनौती दी गई है, इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है।