कर्मचारी की विधवा को कर्मी की मृत्यु से पहले के इलाज का पैसा देने में असंवेदनशीलता पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (HVPNL) को फटकार लगाते हुए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही इलाज के खर्च को 6 प्रतिशत ब्याज के साथ याची को लौटाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो माह में भुगतान न होने पर ब्याज 9 प्रतिशत रहेगा। याचिका दाखिल करते हुए गेंदा देवी ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका पति निगम में जूनियर इंजीनियर पद पर कार्यरत था।

अप्रैल 2015 में बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई थी। याची के पति की मौत के बाद इलाज पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए बिल जमा किए गए, लेकिन निगम ने एक पैसा भी नहीं दिया। निगम ने उसे 1,89,293 रुपये की चिकित्सा प्रतिपूर्ति से साफ इनकार कर दिया। अक्टूबर 2018 में हाईकोर्ट के के आदेश के बाद, अंतरिम रूप से उसे केवल 56,058 रुपये का भुगतान किया गया।

सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति को सरकार द्वारा स्वीकृत अस्पताल में भर्ती कराया गया, उसका ऑपरेशन हुआ और बाद में छुट्टी दे दी गई। इसके कुछ समय बाद याची के पति की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। इलाज के खर्च का भुगतान करने के लिए निवेदन किया गया तो निगम के एमडी ने कहा कि सर्जरी वैकल्पिक थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि एमडी का इस प्रकार का रवैया निंदनीय है, इस कोर्ट का मानना है कि यह अनिवार्य सर्जरी थी। एमडी का यह रवैया न केवल मानव जीवन के प्रति असंवेदनशील है बल्कि यह उनकी अपनी नीति के भी विपरीत है। ऐसे में हाईकोर्ट ने कहा कि निगम महिला को दो महीने के भीतर छह प्रतिशत ब्याज के साथ इलाज मे खर्च की गई राशि का भुगतान करें, अगर दो महीने से अधिक समय लगा तो ब्याज की राशि नौ प्रतिशत सालाना के अनुसार लागू होगी।

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