सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल) को वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें चुनाव के दौरान हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति देने से पहले उनके रक्त में एल्कोहल की मात्रा मापने वाला ब्रेथलाइजर टेस्ट किए जाने की मांग की गई थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका खारिज करने के आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह प्रचार हित की याचिका अधिक है।

जनवाहिनी पार्टी की आंध्र प्रदेश इकाई की ओर से पेश वकील ने कहा कि चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए किसी भी मतदाता को शराब के नशे में मतदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘यह क्या है? यह प्रचार के लिए है। मतदान के दिन मद्य निषेध दिवस होता है और हर जगह पुलिसकर्मी तैनात होते हैं। हम इस पर विचार नहीं करेंगे। (याचिका) खारिज की जाती है।’ जनवाहिनी पार्टी की आंध्र प्रदेश इकाई ने शुरू में हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने 28 फरवरी को याचिका खारिज कर दी थी।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी ऐसे विशिष्ट कानूनी प्रावधान पर अपना ध्यान आकर्षित करने में विफल रहे हैं जो भारत के चुनाव आयोग के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य बना दे कि मतदान की अनुमति मिलने के बाद मतदान केंद्र में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के रक्त में एल्कोहल की मात्रा मापने वाला ब्रेथलाइज़र परीक्षण हो।

जनवाहिनी पार्टी ने 6 जनवरी के अपने प्रतिवेदन पर चुनाव आयोग की कथित निष्क्रियता को चुनौती दी। प्रतिवेदन में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं के प्रवेश बिंदु पर एक ‘ब्रेथलाइजर’ परीक्षण की व्यवस्था करने और केवल उन्हीं मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देने की मांग की गई है, जो शराब के नशे में न हों।

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