*भरत सोनी
अधिवक्ता हित सर्वोपरि शब्द स्लोगन सुनने में कितना अच्छा और आत्मीय लगता है और यही स्लोगन विभिन्न पदों पर दावेदारी कर रहे उम्मीद्वारो के प्रचार सामग्री व मौखिक प्रचार में देखने व सुनने को मिलता है। प्रश्न यह उठता है कि, आखिर अधिवक्ता हित है क्या ? जो सर्वोपरि होना चाहिए ? बात यदि चरितार्थ की हो तो सर्वोपरि व सर्वोत्तम है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 21 वर्षों में राजधानी का प्रतिष्ठित अधिवक्ता संघ में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव, पार्किंग, पेयजल, सुविधाजनक शौचालय, सभी अधिवक्ताओं के लिए उचित बैठक व्यवस्था, डाक सुविधा हेतु डाकघर, बैंक-एटीएम, सुरक्षा व्यवस्था, पक्षकारों से सम्पर्क हेेतु मीटिंग रूम, लंच /भोजन कक्ष, सांस्कृतिक व क्रीड़ा कक्ष, राजधानी के अनुरूप पुस्तकालय की व्यवस्था आदि अनेकों समस्याओं का समाधान आज भी प्रतीक्षा सूची में है। प्रत्येक चुनाव में अधिवक्ता सम्मान व बार-बेंच सामंजस्य के साथ गगनचुंबी वायदे बड़े जोश के साथ किए जाते हैं, लेकिन पता नहीं क्यों धरातल से उपर उठ ही नहीं पाते ? चुनावी दरम्यान किए वायदे, अधिवक्ता हित व सम्मान ख्याली गोते खाते-खाते समय बीत जाता है, फिर मौसम़ ़ ़ वायदों और इरादों का ़ ़ ़ ़ ़व्यवसाय व कार्य स्थल की समस्याओं के वायदे भी कुछ कम नहीं, राजस्व क्षेत्र में आने वाली समस्याएं आज भी वैसी है, जैसे पूर्व थी। प्रत्येक न्यायिक क्षेत्र में मेमो व वकालतनामा का उपयोग अनिवार्य, दलालीप्रथा पर नियंत्रण करना, कनिष्ठ अधिवक्ताओं के आय का मार्ग प्रशस्त करना आदि अनेक विषयों पर अनेकों बार विचार मंथन किया गया। पूर्व कार्यकाल में सम्बंधित अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए गए, लेकिन उन पर अमल की बात एक यक्ष प्रश्र है? सालों से चुनाव हो रहे हैं होते रहेंगे। अधिवक्ता हित-सम्मान के लिए पदाधिकारी चुने जाते हैं, इस बार भी चुने जायेंगे, लेकिन समस्याएं तो आज भी वहीं है, जो पूर्व में थी। ऐसा नहीं है कि, पूर्व कार्यकारिणी ने कार्य नहीं किया या जो आयेंगे, अधिवक्ता हित में कार्य नहीं करेंगे। आखिर संघ का उद्देश्य ही होता है, अपने सदस्यों के हितों के लिए प्रयासरत रहना। सभी समस्याओं का स्थायी समाधान हो, यह भी जरूरी नहीं, लेकिन जिन समस्याओं का समाधान हो सकता है, उसके लिए त्वरित प्रयास आवश्यक है।
राजधानी का न्यायालय परिसर आज चारो ओर से पार्किंग में तब्दील हो गया है। संघ के लगभग 3000 सदस्य सहित न्यायिक अधिकारी-कर्मचारी, पक्षकार सभी इससे परेशान हैं। पार्किंग के लिए न्यायालय परिसर में ही एक निश्चित व्यवस्था किया जाना, न्यायालय परिसर के समस्त जिम्मेदार अधिकारियों व पदाधिकारियों का कर्तव्य है। इस समस्या पर सभी के सामंजस्य से त्वरित समाधान किया जा सकता है, किन्तु अब तक क ़ोई सार्थक प्रयास ना किया जाना समझ से परे है। मल्टीलेवल पार्किंग एक विकल्प हो सकता है लेकिन सभी अधिवक्ताओं के लिए स्थायी समाधान नहीं।
अधिवक्ता हित में किए जाने वाले कुछ कार्य जिन्हें किया जाना आवश्यक है ।
1. डाकघर – अधिवक्ताओं को नोटिस व अन्य डाकघर से संबंधित कार्यांे हेतु डाकघर में लंबी लाइनों के बीच घंटो खड़े रहना पड़ता है , जिससे समय व कार्य प्रभावित होता है अत: डाकघर््् का काउंटर न्यायालय परिसर में होना आवश्यक हैै ।
2. बैंक शाखा – एटीएम
3. अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम (एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट) लागू कराए जाने हेतु प्रयास-
4.अधिवक्ता परिषद का उप-कार्यालय – नए अधिवक्ताओं के पंजीयन हेतु आवश्यक प्रक्रिया राजधानी में ही सम्पन्न हो सके , अधिवक्ताओं को मृत्यु उपरांत दी जाने वाली दावा राशि प्रक्रिया व अधिवक्ता परिषद से संबंधित अन्य कार्यो हेतु आवश्यक है ।
5 केंटिन – अधिवक्ताओं के लिए रियायती दर पर केंटिन आवश्यक है । जहां लंच / भोजन की भी सुविधा रियायती दर पर हो एवं जो अधिवक्ता लंच बॉक्स लाते है वे सुव्यवस्थित भोजन कर सके । वर्तमान में अधिवक्ता संघ केंटिन प्रारंभ की गई है जिसमें पर्याप्त सुविधाएं नही होने के साथ ही कुछ शिकायते रही हैं।
6. सांस्कृतिक कार्यक्रम व क्रीड़ा के लिए क्रीड़ा कक्ष – मनोरंजन कक्ष
7. ग्रंथालय : राजधानी अनुरूप सर्वसुविधायुक्त पुस्तकालय, जहाँ न्याय क्षेत्र से सम्बंधित सभी प्रकार की पठन सामग्री, पत्र – पत्रिकाएंं उपलब्ध हो तथा समय-समय पर माननीय उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित महत्वपूर्ण निर्णय/आदेशों की जानकारी व प्रति उपलब्ध हो सके ।
8 .पार्किंग स्थल – अधिवक्ता संघ रायपुर की वर्तमान में सबसे गंभीर समस्या पार्किं ग स्थल को लेकर है। जिसका निराकरण न्यायालय परिसर में ही उचित पार्किं ग व्यवस्था कर किया जा सकता है।
9. बार-बेंच से सम्बंधित समस्याओं के लिए प्रतिमाह बैठक।
10. विधिक विषयों पर सेमिनार – अधिवक्ताओं के लिए समय -समय पर विधिक सेमिनार कराया जाना चाहिए ताकि केन्द्र व राज्य शासन द्वारा समय – समय पर बनाए गए कानूनों की जानकारी सेमिनार के माध्यम से प्राप्त हो।
11. बीमा- सामूहिक बीमा – कोरोना काल व अप्रत्याशित आपदा को दृष्टिगत रखते हुए अधिवक्ता संघ के समस्त सदस्यों का सामूहिक बीमा ,चिकित्सा सुविधा के साथ प्रति वर्ष कराया जाना आवश्यक प्रतीत होता है ताकि अधिवक्ता व उनके परिवार को उक्त विपरित परिस्थिति में उचित सहयोग प्राप्त हो सके साथ ही संघ-परिवार शाब्दिक ही नही यथार्थ में सार्थक हो।
12. अधिवक्ता के मृत्यु उपरांत प्राप्त होने वाली मृत्युदावा राशि में वृद्धि कर राशि 10 लाख रूपए कराए जाने हेतु संघ द्वारा अधिवक्ता परिषद के सहयोग से शासन स्तर पर सार्थक प्रयास होना चाहिए ।
13. नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा – अधिवक्ता संघ के प्रत्येक सदस्य को 5 लाख तक नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा, अधिवक्ता सहित उनके परिवार को सम्मिलित करते हुए प्रदान किए जाने हेतु संघ व शासन स्तर पर प्रयास करना। (कोरोना काल में अधिवक्ता संघ सचिव द्वारा वकीलों को राहत देने मुख्यमंत्री सहित जनप्रतिनिधियों को पत्र/ज्ञापन के माध्यम से सहयोग हेतु लिखा गया। किन्तु शासन का रवैया उपेक्षित रहा। संघ ने अपने लगभग 25 सदस्यों को खोया ,उन्हें व जो संक्रमित हुए शासन स्तर पर सहयोग नही मिला जो कि चिंताजनक है जिसके लिए संघ के वे समस्त सदस्य जो सत्ता व विपक्षी दल के विधिक प्रकोष्ठ में रहे है उनके द्वारा भी तत्समय सार्थक प्रयास किया जा सकता था।)
14. अधिवक्ता गृह निर्माण हेतु कालोनी, मकान-प्लाट उपलब्ध कराने संघ व शासन स्तर पर सार्थक प्रयास किया जाना । पूर्व कार्यकारिणी द्वारा इस हेतुु एक प्रयास किया गया था। जिसमें कुछ सदस्यों से 10-10 हजार रूपए जमा कराए गए लेकिन योजना पूर्ण नहीं होने पर रकम वापस की गई। पुन: संघ द्वारा प्रयास किया जा सकता है ताकि जिन अधिवक्ताओं के पास आवास व्यवस्था नहीं हैं या जिनके पास आज के महंगाई के दौर पर आवास व्यवस्था हेत पर्याप्त साधन नही है उन्हें उचित दर या आसान किश्तों पर आवास योजना उपलब्ध हो।
15.राजस्व न्यायालय में राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों की नियमित बैठक व कार्य सुनिश्चित करवाना। तथा राजस्व व अन्य क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले अधिवक्ताओं की समस्याओं केे निराकरण हेतु त्वरित सार्थक प्रयास किया जाना ।
16. अधिवक्ताओं के बैठक के लिए पर्याप्त व्यवस्था हेतु नए कक्ष का निर्माण ,ताकि समस्त अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त व उचित बैठक व्यवस्था हो सके।
17. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लोक अदालत में प्रकरण का निराकरण किए जाने पर अधिवक्ता की उपस्थिति व पूर्व सहमति।
18. सिविल न्यायालय सहित विभिन्न राजस्व न्यायालय ,अधिकरण व अन्य न्याय क्षेत्र की कॉजलिस्ट, प्रतिदिन पुस्तकालय/ग्रंथालय में उपलब्ध हो जिसमेें तिथि अपडेट हो।
19.निर्वाचन नियमावली में आवश्यक संशोधन कर निर्वाचन से संबंधित समस्त प्रक्रिया व तथ्यों की प्रविष्टी किया जाना ।
20. कार्यकारिणी सदस्य के कुल 7 पदों में से कम से कम 2 या 3 पद महिला सदस्यो के लिए आरक्षित हो अर्थात कार्यकारिणी में महिला सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाये।
21. अधिवक्ता संघ द्वारा आय-व्यय का विवरण/जानकारी प्रति 6 माह में आम-सभा या अन्य माध्यम से सदस्यों को दिया जाना ताकि पारदर्शिता रहे ।
22. अधिवक्ता परिवार के बच्चों – विद्यार्थियों हेतु प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए उचित शिक्षण -प्रशिक्षण व्यवस्था संघ द्वारा या संघ के माध्यम से शासन स्तर पर कराए जाने का प्रयास ।
23. किसी भी न्यायिक – राजस्व अधिकारी-कर्मचारी द्वारा किसी अधिवक्ता से दुर्व्यवहार या अनुचित व्यवहार किए जाने पर अधिवक्ता की शिकायत पर 48 घण्टे के अन्दर उचित कार्यवाही हेतु ठोस कदम उठाए जावें।
24. संघ का कोई भी सदस्य संघ या कार्य से सम्बंधित जानकारी चाहे तो 48 घण्टे या अधिकतम 7 दिवसों में जानकारी उपलब्ध कराई जावे।
25. पक्षकार मीटिंग कक्ष बनाए जाने का प्रयास ताकि अधिवक्तागण अपने बैठक स्थल पर पर्याप्त व्यवस्था ना होने से पक्षकारों से मीटिंग रूम में प्रकरण के संबंध में आवश्यक चर्चा कर सकें ।
26. पक्षकारों के साथ पेशी पर अनावश्यक आने वाले लोगों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए ताकि न्यायालय परिसर में बेवजह अधिक भीड़ पर नियंत्रण हो।
27. संघ व शासन स्तर पर अधिवक्ता विश्राम गृह का निर्माण कराए जाने का प्रयास।
28. ई-स्टाम्प काउन्टर – न्यायालय परिसर में होने वाले न्यायिक व गैर न्यायिक कार्यांें हेतु उपयोगी स्टाम्प पत्रों क ा काउंटर भी आवश्यक हैंै । जिससे अधिवक्ताओं क ो आसानी से उक्त कार्यों हेतु स्टाम्प पेपर बिना कमीशन या विलंब के प्राप्त हो सके ।