झारखंड हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण के एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि, झारखंड पुलिस को गिरफ्तारी कानून भी मालूम नहीं है।  साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि, झारखंड पुलिस को गिरफ्तारी संबंधी कानून का पूरा कैप्सूल कोर्स करवाना चाहिए। 

दरअसल मामला बोकारो में मध्य प्रदेश की पुलिस द्वारा की गई एक गिरफ्तारी से जुड़ा है।  याचिकाकर्ता के मुताबिक, आरोपी को सभी प्रक्रिया पूर्ण किए बिना गिरफ्तार कर लिया गया।  इसके साथ ही इसकी पूरी जानकारी परिवार वालों को भी नहीं दी गई।   राज्य पुलिस ने बगैर तमाम कानूनी औपचारिकताएं पूरी किए MP पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार कर ले जाने दिया। लिहाज़ा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 

कोर्ट ने राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर मांगा जवाब


अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, भविष्य में इस तरह की कोई बातें सामने न आएं।  इसलिए कैप्सूल कोर्स ज़रूरी है। पुलिस को हर पहलू की जानकारी होनी चाहिए। न्यायाधीश एस चंद्रशेखर एवं न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए शपथ पत्र को देखकर ऐसा लगता है कि , पुलिस ने जानबूझकर दूसरे राज्य की पुलिस को अभियुक्त को ले जाने दिया है, जो कि गलत है।  इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। 

आरोपी के परिजन को नहीं दी थी गिरफ्तारी की जानकारी


दरअसल, पिछले दिनों मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा बोकारो से एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की गई थी, लेकिन उस गिरफ्तारी की पूरी जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपी के परिजन को नहीं दी गई। इसके बाद याचिकाकर्ता नीलम चौबे के द्वारा अधिवक्ता हेमंत सिकरवार के माध्यम से झारखंड हाईकोर्ट में हेवियस कॉपर्स दायर की गई थी। 

गिरफ्तारी वारंट न होने पर भी किया गया गिरफ्तार


24 नवंबर को एमपी पुलिस ने बोकारो से लॉ के  छात्र को गिरफ्तार किया था, लेकिन उसके परिजन को जानकारी नहीं दी गई थी।  दायर याचिका में कहा गया है कि छात्र की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस के पास सिर्फ सर्च वारंट था, जबकि गिरफ्तारी के लिए अरेस्ट वारंट अनिवार्य है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page