पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पुलिस के पास Drugs and Cosmetics Act के उल्लंघन में कथित अवैध उत्पाद की खोज करने या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है। जब्त करने की शक्ति अधिनियम के तहत नियुक्त निरीक्षक के पास होगी। हाईकोर्ट ने माना कि Drugs and Cosmetics Act 1940 की धारा 22 के अनुसार, किसी भी तलाशी और जब्ती की शक्ति पूरी तरह से Drug Inspector के पास निहित है, पुलिस के नहीं।वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता पर बिना किसी अपेक्षित लाइसेंस के कथित तौर पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन को विनियमित दर से अधिक कीमत पर बेचने की पेशकश करने के लिए Drugs and Cosmetics Act के तहत मामला दर्ज किया गया था। परिसर पर छापा मारने के बाद पुलिस ने कथित इंजेक्शन जब्त कर लिए और इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी के निदेशक/याचिकाकर्ता और अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ FIR दर्ज की।रेमडेसिवीर कंपनी के मालिक पर दर्ज FIR की रद्दजस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने FIR रद करते हुए और Drugs and Cosmetics Act की धारा 22 का जिक्र करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस के पास परिसर का निरीक्षण करने और इंजेक्शन जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है, जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया। Drugs and Cosmetics Act विशेष एक्ट होने के नाते सीआरपीसी और आवश्यक वस्तु अधिनियम का स्थान लेता है, जिससे पुलिस को Drug Inspector के अधिकार को हड़पने के लिए सीआरपीसी या आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शरण लेने से रोका जा सकता है।हाईकोर्ट ने हेल्थ बायोटेक की याचिका पर की सुनवाईअदालत ने कहा कि कोई भी तलाशी और जब्ती कानून के अनुसार नहीं की गई, जैसा कि इस मामले में देखा गया। ऐसे सबूतों के आधार पर आरोपित को दोषी ठहराने के लिए मुकदमे के दौरान कोई महत्व नहीं होगा। इसलिए दोषपूर्ण वसूली प्रक्रिया के कारण आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा सात के तहत जुर्माना लगाने की कोई संभावना नहीं होगी।हाईकोर्ट ने यह टिप्पणियां हेल्थ बायोटेक लिमिटेड के निदेशक गौरव चावला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें IPC की धारा 420 और 120-बी, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा सात और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27 के तहत चंडीगढ़ में अप्रैल 2021 में दर्ज FIR रद करने की मांग की गई।तलाशी और जब्ती का अधिकार Drug Inspector के पास निहितयाचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि IPC की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के लिए आवश्यक तत्व नहीं बनाए गए, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ FIR में कोई संपत्ति देने या किसी व्यक्ति को धोखा देने का कोई आरोप नहीं लगाया गया। कहा गया कि याचिकाकर्ता की कंपनी से इंजेक्शन की कथित जब्ती पुलिस द्वारा नहीं की जा सकती क्योंकि किसी भी तलाशी और जब्ती की शक्ति पूरी तरह से Drug Inspector के पास निहित है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि पुलिस के पास ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27 के तहत अपराधों की जांच करने की कोई शक्ति नहीं है। यहां तक कि उक्त प्रविधान के तहत FIR भी दर्ज नहीं की जा सकती।

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