राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अनधिकृत श्रम विहार कॉलोनी पर बुलडोजर कार्रवाई के आदेश पर रोक लगाने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया. अदालत ने इसे अतिक्रमण मानते हुए यमुना नदी को प्रदूषित करने का यह एक बड़ा कारण माना है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा है कि यमुना लगातर प्रदूषित होती जा रही है, कोई नहीं चाहता नदी साफ सुथरी रहे. पीठ ने कहा कि यमुना को प्रदूषित करने वाले अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाने के याचिकाकर्ता हकदार नहीं हैं.

याचिकाकर्ताओं ने 27 सितंबर तक जगह खाली करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. 11 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस अवैध कॉलोनी को हटाने के निर्देश डीडीए के उपाध्यक्ष को दिए थे. यमुना किनारे अतिक्रमण हटाने के लिए दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, वन विभाग, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से समन्वय करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष को नोडल अधिकारी नियुक्त किया था.

श्रम विहार कॉलोनी को माना अवैध

दिल्ली हाई कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली स्थित श्रम विहार कॉलोनी को अवैध माना गया है. दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि बीते सोमवार को एक रिपोर्ट में देखा था कि बीते कुछ महीनों से यमुना में बहुत ज्यादा बदबू बढ़ गई है. प्रदूषण के कारण नदी में बनने वाले झाग के गुजरने पर एक मील की दूरी से बदबू आने लगती है. यमुना किनारे अतिक्रमण से यह और प्रदूषित हो रही है. कोर्ट ने कहा कि जिस कॉलोनी को हटाने का आदेश दिया गया है वह दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत ओ जोन में आती है.

कॉलोनी को हटाने के आदेश बरकरार
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिल्ली मास्टर प्लान के ओ जोन में आने वाली जमीन पर निर्माण कार्य नहीं बल्कि बागवानी की जाती है. DDA ने जवाब हलफनामा दाखिल कर इस मामले में तर्क दिया कि श्रम विहार कॉलोनी दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 1731 अनधिकृत कॉलोनियों की सूची में शामिल नहीं है. वहींकोर्ट ने याचिकाकर्ता के नोटिस पर विचार करने से ही इनकार कर दिया और कॉलोनी को हटाने के आदेश को बरकरार रखा.

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