मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी जबलपुर डॉ. संजय मिश्रा की नियुक्ति और विभागीय पदोन्नति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि शिकायत देने के बाद याचिकाकर्ता ने अपेक्षाकृत शीघ्रता से याचिका दायर की है।
एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि यदि तीन माह में लोकायुक्त विधि सम्मत कार्यवाही नहीं करता है, तो याचिकाकर्ता पुनः याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार राकेशिया की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर डॉ. संजय मिश्रा की नियुक्ति और विभागीय पदोन्नति अवैध है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि प्रशासनिक पद पर होने के बावजूद उनके द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस किया जाना गैरकानूनी है।
जिला अस्पताल में पदस्थ होने के बावजूद वे प्राइवेट अस्पताल में अवैध सेवाएं दे रहे हैं, जो कि शासन निर्देशों के विपरीत है। याचिका में अन्य कई आरोप भी लगाए गए थे। याचिका में यह भी कहा गया था कि इस संबंध में लोकायुक्त से शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण यह याचिका दायर की गई।
याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने सबसे पहले 16 जुलाई 2024 को शिकायत की थी और इसके बाद दूसरा पत्र 30 अगस्त 2024 को दिया गया था। याचिकाकर्ता को कुछ समय प्रतीक्षा करनी चाहिए थी और यह देखना चाहिए था कि उसकी शिकायत पर विचार हो रहा है या नहीं। इन परिस्थितियों में हाईकोर्ट ने कोई निर्देश देने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को पुनः याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की।