दुष्कर्म और पॉक्सो ऐक्ट में दर्ज मुकदमे में आरोपी नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ, लालकुआं के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा की गिरफ्तारी पर रोक और संबंधित एफआईआर को निरस्त करने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पूर्व में कोर्ट ने बोरा को अंतरिम राहत देते हुए गिरफ्तारी पर 17 सितंबर तक रोक लगाई थी। इधर, मंगलवार को यह अवधि समाप्त होने से पूर्व बोरा पक्ष की ओर से अंतरिम राहत बढ़ाए जाने का कोर्ट से अनुरोध किया गया। इसका पीड़ित पक्ष की ओर से विरोध किया गया। फ़िलहाल कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार, नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा पर एक महिला कर्मचारी ने उसे नियमित नौकरी दिलाने के नाम पर होटल में बुलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इसके बाद बोरा के खिलाफ लालकुआं कोतवाली में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ कोर्ट से आदेश हासिल कर मुनादी के साथ उनके घर पर संपत्ति कुर्की का नोटिस भी चस्पा कर दिया और उनकी संपत्ति को कुर्क करने की कार्यवाही भी की जा रही है। दुग्ध संघ अध्यक्ष बोरा ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 17 सितंबर तक गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए बोरा से जांच में सहयोग करने को कहा था। साथ ही उन्हें इस अवधि में नियमित रूप से अल्मोड़ा कोतवाली में उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश दिए थे।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि मंगलवार को हुई सुनवाई में पुलिस की तरफ से कहा गया कि मुकेश बोरा के मोबाइल की बरामदगी और होटल के रजिस्टर में मिले हस्ताक्षरों का मिलान करना बेहद जरूरी है। इसके लिए बोरा की कस्टडी की जरूरत है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।