नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों व बंदरों के बढ़ने के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD को आड़े हाथ लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि MCD अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर रही है।
अदालत ने MCD को लगाई फटकार
पूरा शहर कूड़े से भरा है। अगर MCD पूरे शहर को कूड़े से भरने दे तो क्या करें? यदि आप जानवरों को खाना खिलाना बंद कर देंगे तो वे आना बंद कर देंगे। अदालत ने आवारा कुत्तों व बंदरों की बढ़ती संख्या का कारण MCD अधिकारियों द्वारा कचरे का निपटान न करना बताया है।
अदालत ने राम मनोहर लोहिया अस्पताल को बंदरों व कुत्तों को काटने के कारण इंजेक्शन लेने पहुंचे लोगों का पिछले तीन महीनों के आंकड़े पेश करने के निर्देश दिए। अदालत ने मामले में MCD और NDMC को दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
मामले में 30 सितंबर को अगली सुनवाई
अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। अदालत ने अधिकारियों को यह भी बताने को कहा कि इस समस्या के लिए उनके पास क्या योजना है। अदालत ने कहा कि यहां तक की हाई कोर्ट परिसर भी बंदरों के आतंक से मुक्त नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी गैरसरकारी संगठन न्याय भूमि और द सोसाइटी फॉर पब्लिक काज की दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाओं में आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती संख्या का मुद्दा उठाया गया था।