पुणे कार दुर्घटना के मुख्य आरोपी जो कि नाबालिग है, उसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को तुरंत रिहा करने को आदेश जारी किया था। इसके बाद अब पुणे पुलिस उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।
19 मई को पुणे में हुई कार दुर्घटना देशभर में चर्चा का विषय रही। नाबालिग कार चालक जो कि एक रियल एस्टेट व्यापारी का बेटा था, नशे की हालत में लग्जरी कार चला रहा था। आरोप है कि नशे की हालत में उसने बाइक को टक्कर मार दी। बाइक पर दो युवक सवार थे, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। दुर्घटना के बाद उसे कुछ ही घंटों में जमानत दे दी गई।
नाबालिग आरोपी को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड द्वारा जमानत दे दी गई। साथ ही उसे अपने माता-पिता और दादा की देखभाल और निगरानी में रहने का आदेश दिया गया। सजा के तौर पर नाबालिग आरोपी को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया। जब यह बात जनता तक पहुंची तो लोगों में आक्रोश फैल गया, सोशल मीडिया पर इसकी बहुत आलोचना भी हुई। इसके बाद पुलिस ने जेजेबी के समक्ष एक आवेदन दायर कर ज़मानत आदेश में संशोधन की मांग की। 22 मई को बोर्ड ने लड़के को हिरासत में लेने का आदेश दिया और उसे निगरानी गृह में भेज दिया।
इसी बीच नाबालिग आरोपी के रक्त के नमूने की जांच रिपोर्ट में हेरफेर करने का भी आरोप लगाया गया। अस्पताल स्टॉफ और डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध बताई गई। वहीं नाबालिग आरोपी के पिता और दादा पर ड्राइवर को धमका कर आरोपी पोते का इल्जाम अपने ऊपर लेने का दबाव बनाने का, अपहरण करने आरोप है। ड्राइवर को धमकी दी गई थी कि वह यह कहे कि दुर्घटना के समय वह गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर के कथित अपहरण के मामले में लड़के के पिता और दादा की जमानत याचिका पर पुणे की एक अदालत सोमवार को अपना आदेश सुनाएगी। दोनों मामलों में नाबालिग आरोपी के पिता और दादा हिरासत में है।
25 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने लड़के को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा उसे निगरानी गृह में भेजने के आदेश अवैध हैं। क्योंकि किशोरों से संबंधित कानून का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। दरअसल, 19 मई को दुर्घटना के कुछ घंटों बाद जमानत पाने वाले किशोर को विरोध के बाद तीन दिन बाद महाराष्ट्र के पुणे शहर में निगरानी गृह भेज दिया गया। लेकिन पिछले सप्ताह हाई कोर्ट के आदेश के बाद, नाबालिग आरोपी को निगरानी गृह से रिहा कर दिया गया।
नाबालिग आरोपी की मौसी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि किशोर को अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आरोपी को रिहा करने के आदेश दिए गए। पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने सोमवार को बताया कि पुणे पुलिस बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना बना रही है।